अरे कान्हा, काहे तू मोको रुलाये ,
पल छिन मैंने तो पर छोड़ा ,
काहे न राह दिखाये .
मो को क्यों तरसाये .
सात जनम के धागे सारे ,
छूट छुट गिरे मन घबराये,
तू जो साथ निभाये मेरा,
कोई का मोको रुलाये .
काहे ना राह दिखाये .
मै तो तेरी हूँ ओ मनमोहन,
तुझ पर मोरा जीवन अर्पण .
तो फिर क्यों भटकाये
काहे तू मोको रुलाये ..........