कान्हा के नाम चिट्ठी - चंद्रानी पुरकायस्थ
वृन्दावन की धूल बनादे ,
मुझको इन चरणों में बसा ले.
मुझको इन चरणों में बसा ले.
मुझे पावन बनाले ओ कान्हा मेरे प्यारे.
मुझे चरणों में सजाले ओ कान्हा मेरे प्यारे .
जनम जनम से तुझको पुकारूँ ,
बोल किस बिध तुझको में पाऊ.
मुझे अपना बनाले, ओ कान्हा मेरे प्यारे,
बोल किस बिध तुझको में पाऊ.
मुझे अपना बनाले, ओ कान्हा मेरे प्यारे,
मुझे गरवा लगा ले , ओ कान्हा मेरे प्यारे .
ज्ञान भक्ति मैं तो न जानू,
तू हैं अपना बस वही पहचानू,
मोहनी सूरत दिखादे, ओ कान्हा मेरे प्यारे.
मुझे पायल बनाले, ओ कान्हा मेरे प्यारे.
जीवन अपना तुझ पर अर्पण,
स्वीकारो यह सहज समर्पन ,
अपनी छाव में छुपाले, ओ कान्हा मेरे प्यारे,
जनम के फेरे मिटा दे , ओ कान्हा मेरे प्यारे .
ज्ञान भक्ति मैं तो न जानू,
तू हैं अपना बस वही पहचानू,
मोहनी सूरत दिखादे, ओ कान्हा मेरे प्यारे.
मुझे पायल बनाले, ओ कान्हा मेरे प्यारे.
जीवन अपना तुझ पर अर्पण,
स्वीकारो यह सहज समर्पन ,
अपनी छाव में छुपाले, ओ कान्हा मेरे प्यारे,
जनम के फेरे मिटा दे , ओ कान्हा मेरे प्यारे .
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